आज पौष मास शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि है। इसे साम्ब दशमी नाम से भी जाना जाता है। साम्ब भगवान श्रीकृष्ण के पुत्र थे। यह त्योहार प्रमुख रूप से ओडिशा में मनाया जाता है। संतान के दीर्घायु व निरोगी होने की कामना को लेकर इस दिन माताएं सूर्य पूजा कर भोग चढ़ाती हैं। किंवदंतियों अनुसार सांब ने कुष्ठ रोग से छुटकारा पाने के लिए कोणार्क मंदिर में सूर्यदेव के लिए 12 वर्षों तक घोर तपस्या की। सांब के ठीक होने के दिन को सांब दशमी के रूप में मनाया जाता है। इस दिन महिलाएं सुबह जल्दी उठ नहाने के बाद खिचड़ी, उड़िया पुली, कढ़ी व मिठाई बनाती हैं और सूर्यदेव को अर्पित कर परिवार के सदस्यों की सलामती के लिए प्रार्थना करती हैं। ऐसा मानते हैं कि सूर्य में रोगों को ठीक करने की शक्ति है। इस दिन सूर्य भगवान को तीन बार सुबह, मध्याह्न और शाम को सूर्यास्त से पहले आमंत्रित किया जाता है। पूजा के बाद भोग परिवार के सदस्य ग्रहण करते हैं।
संतान के दीर्घायु व निरोगी होने की कामना के लिए माताएं करें सूर्यदेव की पूजा